चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ द्वादशोऽध्यायः ॥ 12 ॥

atha dvādaśō’dhyāyaḥ ॥ 12 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 12   श्लोक-  21-23
 


धनधान्यप्रयोगेषुविद्या संग्रहणेतथा ॥ 
आहारेव्यवहारेचत्यक्तलज्जःसुखीभवेत्॥२१॥
( अध्यायः १३ । ६९)

अर्थ - धन धान्य के व्यवहार करने में, वैसे ही विद्या के पढने-पढाने में, आहार में और राजा की सभा में किसी के साथ विवाद करने में जो लज्जा को छोडे रहेगा वह सुखी होगा ॥ २१ ॥

dhanadhānyaprayōgēṣuvidyā saṁgrahaṇētathā ॥ 
āhārēvyavahārēcatyaktalajjaḥsukhībhavēt॥21॥
( adhyāyaḥ 13 | 69)

Meaning - One who leaves aside shyness in dealing with wealth, in teaching and learning, in eating and in disputing with anyone in the king's court will be happy. 21 ॥

जलबिंदु निपातेनक्रमशःपूर्यतेघटः ॥ 
महेतुःसर्वविद्यानां धर्मस्यचधनस्यच ॥ २२ ॥

अर्थ - क्रम-क्रम से जल के एक एक बूंद के गिरने से घड़ा भर जाता है। यही सभी विद्याओं, धर्म और धन का भी कारण है ॥ 22 ॥

jalabiṁdu nipātēnakramaśaḥpūryatēghaṭaḥ ॥ 
mahētuḥsarvavidyānāṁ dharmasyacadhanasyaca ॥ 22 ॥

Meaning - The pitcher gets filled with each drop of water falling sequentially. This is the reason for all knowledge, religion and wealth. 22॥
वयसः परिणामेऽपि यः खलः खल एव सः ।
सम्पक्वमपि माधुर्यं नोपयातीन्द्रवारुणम् ॥ 23 ॥

अर्थ - वय के परिणाम पर भी  जो खल रहता है सो खल ही बना रहता है अत्यन्त पकी भी कड़वी लौकी मीठी नहीं होती ॥ २३ ॥

vayasaḥ pariṇāmē’pi yaḥ khalaḥ khala ēva saḥ |
sampakvamapi mādhuryaṁ nōpayātīndravāruṇam ॥ 23 ॥
Meaning - Even after aging, the sour gourd remains sour, even the very ripe bitter gourd is not sweet. 23॥
इतिवृद्धचाणक्ये द्वादशोऽध्यायः  ॥12॥
itivr̥ddhacāṇakyē dvādaśō’dhyāyaḥ  ॥12॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।