चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ द्वादशोऽध्यायः ॥ 12 ॥

atha dvādaśō’dhyāyaḥ ॥ 12 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 11   श्लोक-  16-20

काष्ठंकल्पतरुःसुमेरुरचलश्चिंतामणिः प्रस्थरः सूर्यस्तीव्रकरः शशीक्षयकरःक्षारोहिवारांनि- धिः कामोनष्टतनुर्बलिर्दितिसुतोनित्यंपशुः कामगौः नैतांस्तेतुलयामिभोरघुपतेकस्योपमा दीयते ॥ १६ ॥

अर्थ - कल्पवृक्ष काठ है, सुमेरु अचल है, चिंतामणि पत्थर है, सूर्य की किरण अत्यंत ऊष्ण है चन्द्रमा की किरण क्षीण हो जाती है। समुद्र समुद्र खारा है काम का शरीर नहीं है बल्कि अर्थात्  दैत्य है कामधेनु सदा पशु ही है इस कारण आप के साथ इनकी तुलना नहीं दे सकते हे रघुपति ? फिर आपको किस की उपमा दी जाय ॥१६॥

kāṣṭhaṁkalpataruḥsumēruracalaściṁtāmaṇiḥ prastharaḥ sūryastīvrakaraḥ śaśīkṣayakaraḥkṣārōhivārāṁni- dhiḥ kāmōnaṣṭatanurbalirditisutōnityaṁpaśuḥ kāmagauḥ naitāṁstētulayāmibhōraghupatēkasyōpamā dīyatē ॥ 16 ॥
Meaning - Kalpavriksha is wood, Sumeru is immovable, Chintamani is stone, the sun's ray is extremely hot, the moon's ray becomes weak. The ocean is salty, it is not a body of lust, but it is a demon, Kamadhenu is always an animal, that is why we cannot compare them with you, O Raghupati? Then whose likeness should you be given?16॥

विद्यामित्रंप्रवासेचभार्यामित्रंगृहेषुच ॥ 
व्याधिस्थस्यौषधैमित्रंधर्मोमित्रंमृतस्यच। १७॥ 

अर्थ - प्रवास, में विद्या हित करती है, घर में स्त्री मित्र है, रोगग्रस्त पुरुष का हित औषधि होती है, और धर्म मरे का उपकार करता है ॥ १७ ॥

vidyāmitraṁpravāsēcabhāryāmitraṁgr̥hēṣuca ॥ 
vyādhisthasyauṣadhaimitraṁdharmōmitraṁmr̥tasyaca| 17॥ 
Meaning - Knowledge is beneficial in a journey, a woman is a friend in the home, medicine is beneficial to a sick man, and religion helps the dead. ।। 17 ॥

विनयं राजपुत्रेभ्यःपंडितेभ्यःसुभाषितंम् अनृतंद्यूतकारेभ्यःस्त्रीभ्यःशिक्षेतकैतवम्।१८।

अर्थ - सुशीलता राजा के लडकों से, प्रिय वचन पंडितों से असत्य जुआरियों से और छल स्त्रियों से सीखना चाहिये ॥ १८ ॥
 
vinayaṁ rājaputrēbhyaḥpaṁḍitēbhyaḥsubhāṣitaṁm anr̥taṁdyūtakārēbhyaḥstrībhyaḥśikṣētakaitavam|18|
Meaning - Goodness should be learned from the king's sons, loving words from wise men, falsehood from gamblers and deceitful women. ।। 18 ॥

अनालोक्यव्ययंकर्ताअनाथःकलहप्रियः ॥ 
आतुरःसर्वक्षेत्रेषुनरःशीघ्रंविनश्यति ।। १९ ॥

अर्थ - बिना बिचारे व्यय करने वाला, सहायक के न रहने पर भी कलह में प्रीति रखनेवाला और सब जाति की स्त्रियों में भोग के लिये व्याकुल होने वाला पुरुष शीघ्र ही नाश को प्राप्त होता है ॥ १६ ॥

anālōkyavyayaṁkartāanāthaḥkalahapriyaḥ ॥ 
āturaḥsarvakṣētrēṣunaraḥśīghraṁvinaśyati ॥ 19 ॥

Meaning - A man who spends without waste, who is fond of discord even when there is no helper, and who is desperate for pleasure from women of all castes, soon comes to destruction. 19 ॥

नाहारंचिंतयेत्प्राज्ञोधर्ममेकंहिचिंतयेत् ॥ 
आहारोहिमनुष्याणांजन्मनासहजायते ॥२०॥

अर्थ - पंडित को आहार की चिंता नहीं करनी चाहिये। एक धर्म को निश्चय से सोचना चाहिये, इस हेतु कि, आहार मनुष्यों को जन्म के साथ ही उत्पन्न होता है॥२०।।

nāhāraṁciṁtayētprājñōdharmamēkaṁhiciṁtayēt ॥ 
āhārōhimanuṣyāṇāṁjanmanāsahajāyatē ॥20॥

Meaning – A Pandit should not worry about diet. A religion should be thought of with determination, because food is given to humans at birth. ।।20.।।

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।