चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ तृतीयोऽध्यायः ॥ 3 ॥
atha tr̥tīyō’dhyāyaḥ ॥ 3 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय -3 श्लोक- 6-10
प्रलयेभिन्नमर्यादाभवन्तिकिलसागराः ॥ सागराभेदमिच्छान्तिप्रलये ऽपिनसाधवः ।॥६॥ अर्थ - समुद्र प्रलय के समय अपनी मर्यादा को छोड़ देते हैं और सागर भेद की इच्छा भी रखते हैं परन्तु साधु (सज्जन) लोग प्रलय होने पर भी अपनी मर्यादा को नहीं छोड़ते (अर्थात वे समुद्र से भी श्रेष्ठ हैं॥ ६ ॥ pralayēbhinnamaryādābhavantikilasāgarāḥ ॥ sāgarābhēdamicchāntipralayē ’pinasādhavaḥ ॥|6॥ Meaning - At the time of flood, the oceans give up their dignity and also wish to separate from the ocean, but sages (gentlemen) do not give up their dignity even when there is a flood (that is, they are better than the sea. ॥ 6 ॥ मूर्खस्तुपरिहर्तक्सःप्रत्यक्षोद्विपदःपशुः ॥ भिद्यत्तेवाक्यशल्येन अदृशंकंटकंयथा ॥ ७॥ अर्थ - मूर्ख को दूर करना उचित है, इस कारण कि, देखने में वह मनुष्य है; परन्तु यथार्थ में देखें तो दो पांव वाला पशु है। और वाक्यरूप कांटे को बेधता है जैसे अन्धे को कांटा ॥ ७ ॥ mūrkhastuparihartaksaḥpratyakṣōdvipadaḥpaśuḥ ॥ bhidyattēvākyaśalyēna adr̥śaṁkaṁṭakaṁyathā ॥ 7॥ Meaning - It is appropriate to remove a fool because, in appearance, he is a human being; But in reality it is a two-legged animal. And the sentence form pierces a thorn like a thorn pierces a blind man. 7 ॥ रूपयौवनसम्पन्नाविशालकुलसम्भवाः ॥ विद्याहीनानशोभन्तेनिर्गंधाइवकिंशुकाः॥८॥ अर्थ - सुंदरता, तरुणता और बडे कुल में जन्म इनके रहते भी विद्याहीन पुरुष बिना गन्ध पलाश (ढाक) के फूल के समान नहीं शोभते ॥ ८ ॥ rūpayauvanasampannāviśālakulasambhavāḥ ॥ vidyāhīnānaśōbhantēnirgaṁdhāivakiṁśukāḥ॥8॥ Meaning - Despite beauty, youth and birth in a big family, a man without education does not look as good as a flower without fragrance. 8॥ कोकिलानांस्वरोरूपंस्त्रीणांरूपंपतिव्रतम् ॥ विद्यारूपंकुरूपाणांक्षमारूपंतपस्विनाम् ॥९॥ अर्थ - कोकिलों की शोभा स्वर है, स्त्रियोंकी शोभा पातिव्रत है, कुरूपों की शोभा विद्या है, तपस्वियों की शोभा क्षमा है ॥ ९ ॥ kōkilānāṁsvarōrūpaṁstrīṇāṁrūpaṁpativratam ॥ vidyārūpaṁkurūpāṇāṁkṣamārūpaṁtapasvinām ॥9॥ Meaning - The beauty of nightingales is voice, the beauty of women is devotion, the beauty of ugly people is knowledge, the beauty of ascetics is forgiveness. 9॥ त्यजेदेकं कुलस्यार्थेग्रामस्यार्थेकुलंत्यजेत् ॥ ग्रामजनपदस्यार्थेआत्मार्थेपृथिवींत्यजेत्॥१०॥ अर्थ - कुल के निमित्त एक को छोड़ देना चाहिये, ग्राम के हेतु कुल का त्याग उचित है, देश-के अर्थ ग्राम का और अपने अर्थ पृथिवी का अर्थात् सबका त्याग ही उचित है ॥ १० ॥ tyajēdēkaṁ kulasyārthēgrāmasyārthēkulaṁtyajēt ॥ grāmajanapadasyārthēātmārthēpr̥thivīṁtyajēt॥10॥ Meaning - One should be sacrificed for the sake of the clan, it is appropriate to sacrifice the clan for the sake of the village, it is appropriate to sacrifice the country (meaning the village) and one's own meaning the earth i.e. sacrificing everything. 10 ॥
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
Leave a Reply