चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथैकादशोऽध्यायः ॥ 11 ॥
athaikādaśō’dhyāyaḥ ॥ 11 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 11 श्लोक- 11-15
अकृष्टफलमूलानिवनवासरतिः सदा ॥ कुरुतेऽहरहः श्राद्धसृषिर्विप्रःसउच्यते ॥११॥ अर्थ - बिना जोती भूमि से उत्पन्न फल व मूलको खाकर सदा वनवास करता हो और प्रतिदिन श्राद्ध करे ऐसा ब्राह्मण ऋषि कहलाता है ॥ ११ ॥ akr̥ṣṭaphalamūlānivanavāsaratiḥ sadā ॥ kurutē’harahaḥ śrāddhasr̥ṣirvipraḥsucyatē ॥11॥ Meaning - A Brahmin who eats the fruits and roots grown from uncultivated land and remains in exile forever and performs Shraddha daily is called a Rishi. 11 ॥ एका हारेणसंतुष्टः षट्कर्मनिरतःसदा ॥ ऋतुकालाभिगामीचसविप्रोद्विजउच्यते ।१२। अर्थ - एक समय के भोजन से संतुष्ट रहकर पढना, पढाना, यज्ञ करना कराना, दान देना और लेना इन छः कर्मों में सदा रत हो और ऋतुकाल में स्त्री का संग करे तो ऐसे ब्राह्मण को द्विज कहते हैं ॥ १२ ॥ ēkā hārēṇasaṁtuṣṭaḥ ṣaṭkarmanirataḥsadā ॥ r̥tukālābhigāmīcasaviprōdvijucyatē |12| Meaning - Being satisfied with one meal at a time, if he is always engaged in these six activities of reading, teaching, performing yagya, giving and taking donations and keeps company with a woman during the season, then such a Brahmin is called Dwij. 12 ॥ कर्मणिरतःपश्नांपारपालकः ॥ वाणिज्यकृषिकीयः सविप्रो वैश्यउच्यते॥ १३ लौकिके अर्थ - संसारिक कर्म में रत हो और पशुओं का पालन, बनियाई (व्यापार ) और खेती करने वाला हो वह विप्र वैश्य कहलाता है ॥ १३ ॥ karmaṇirataḥpaśnāṁpārapālakaḥ ॥ vāṇijyakr̥ṣikīyaḥ saviprō vaiśyucyatē॥ 13 laukikē Meaning - One who is engaged in worldly activities and is engaged in animal husbandry, trade and farming is called Vipra Vaishya. 13 ॥ लाक्षादितैलनीलीनाकौसुंभमधुसर्पिषा ॥ विक्रेतामद्यमांसानां सविप्रःशूदउच्यते ॥१४॥ अर्थ - लाख आदि पदार्थ, तेल नीली कुसुम, मधु, घी, मद्य, और मांस जो इनका बेचनेवाला हो, वह ब्राह्मण शूद्र कहा जाता है ॥ १४ ॥ lākṣāditailanīlīnākausuṁbhamadhusarpiṣā ॥ vikrētāmadyamāṁsānāṁ savipraḥśūducyatē ॥14॥ Meaning - The one who sells things like lac, oil, blue safflower, honey, ghee, liquor and meat is called a Brahmin Shudra. 14 ॥ परकार्यविहंताचदाभिकःस्वार्थसाधकः ।। छलीद्वेषी मृदुःक्रूरोविमोमार्जारउच्यते ॥१५॥ अर्थ - दूसरे के काम को बिगाडनेवाला, दम्भी, अपने ही अर्थ का साधनेवाला, छली, द्वेषी, उपर मृदु और अन्तःकरण में क्रूर हो, तो वह ब्राह्मण बिलार कहा- जाता है ॥ १५ ॥ parakāryavihaṁtācadābhikaḥsvārthasādhakaḥ ॥ chalīdvēṣī mr̥duḥkrūrōvimōmārjārucyatē ॥15॥ Meaning - If someone spoils the work of others, is arrogant, pursues his own interests, is deceitful, is spiteful, soft on the surface and cruel in the heart, then he is called a Brahmin-Bilar. 15.
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।