चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथैकादशोऽध्यायः ॥ 11 ॥

athaikādaśō’dhyāyaḥ ॥ 11 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 11   श्लोक-  6-10
नदुर्जनः साधुदशामुपैतिबहुप्रकारैरपिशिक्ष्य माणः।। 
आमूलसिक्तःपयसा घृतेनननिंबवृक्षा मधुरत्वमेति ॥ ६ ॥

अर्थ - निश्चय है कि, दुर्जन अनेक प्रकार से सिखलाया भी जाय, पर उसमें साधुता नहीं आती। जिस प्रकार दूध और घी से पल्लव पर्यंत नीम का वृक्ष सींचा जाय पर उसमें मधुरता नहीं आती ॥ ६ ॥

nadurjanaḥ sādhudaśāmupaitibahuprakārairapiśikṣya māṇaḥ॥ 
āmūlasiktaḥpayasā ghr̥tēnananiṁbavr̥kṣā madhuratvamēti ॥ 6 ॥
Meaning - It is true that even if a wicked person is taught in many ways, he does not attain sainthood. Just as a Neem tree 🌴 is watered with milk and ghee till the end of its leaf 🌿, it does not yield sweetness. 6॥


अन्तर्गतमलोदुष्टस्तीर्थस्नानशतैरपि ॥ 
नशुद्ध्यतितथा भांडंसुरायादा हितंचयत् ॥ ७ ॥

अर्थ - जिसके हृदय में पाप है वही दुष्ट है; वह तीर्थ में सौ बार स्नान से भी शुद्ध नहीं होता, जैसे मदिरा का पात्र जल से धोया जाय तो भी (उससे शराब की गंध नहीं जाती अर्थात् वह अशुद्ध ही रहता है) शुद्ध नहीं होता ॥ ७ ॥ i

antargatamalōduṣṭastīrthasnānaśatairapi ॥ 
naśuddhyatitathā bhāṁḍaṁsurāyādā hitaṁcayat ॥ 7 ॥

Meaning - The one who has sin in his heart is evil; It does not become pure even by bathing a hundred times in a pilgrimage, just as even if a wine vessel is washed with water (the smell of wine does not go away from it, that is, it remains impure), it does not become pure. 7 ॥ 

नवेत्तियोयस्यगुणप्रकर्षंसतंसद निन्दतिनात्र चित्रम् ॥ 
यथाकिरातीकरिकुंभलव्धांमुक्तांपरि त्यज्यविभर्तिगुंजाम् ॥ ८ ॥

अर्थ - जो जिसके गुण की प्रकर्षता नहीं जानता वह निरंतर उसकी निंदा करता है, जैसे सिल्लिनी हाथी के मस्तक के मोती को छोड़ घुंघुची को पहनती है ॥ ८ ॥

navēttiyōyasyaguṇaprakarṣaṁsataṁsada nindatinātra citram ॥ 
yathākirātīkarikuṁbhalavdhāṁmuktāṁpari tyajyavibhartiguṁjām ॥ 8 ॥

Meaning - One who does not know the excellence of his qualities, he constantly criticizes him, just as Sillini leaves the pearl on the elephant's head and wears the anklets. 8॥

येतुसंवत्सरं पूर्णनित्यंमौनेनझुंजते ॥ 
युगकोटिसहसँतै पूज्यंते स्वर्गविष्टपे ॥ ९ ॥

अर्थ - जो वर्ष भर नित्य चुपचाप भोजन करता है वह सहस्रकोटि युगलों स्वर्गलोक में पूजा जाता है॥६॥ 

yētusaṁvatsaraṁ pūrṇanityaṁmaunēnajhuṁjatē ॥ 
yugakōṭisahasam̐tai pūjyaṁtē svargaviṣṭapē ॥ 9 ॥
Meaning: He who eats quietly daily throughout the year is worshiped in the heavenly world by thousands of crores of pairs.


कामक्रोधौतथा लोभंस्वादुशृंगारकौतुके ॥ 
अतिनिद्रातिसेवेचविद्यार्थीह्यष्टवर्जयेत् ॥१०॥

अर्थ - काम, क्रोध, लोभ, मीठी वस्तु, शृंगार, खेल, अति निद्रा और अतिसेवा इन आठों को विद्यार्थी (जिसे विद्या का अर्जन करना हो वे अपना मुख्य ध्येय विद्या का अर्जन करें) छोड़ देवें ॥ १० ॥

kāmakrōdhautathā lōbhaṁsvāduśr̥ṁgārakautukē ॥ 
atinidrātisēvēcavidyārthīhyaṣṭavarjayēt ॥10॥
Meaning - The student should give up these eight things (lust, anger, greed, sweet things, make-up, play, excessive sleep and excessive service) (those who want to acquire knowledge should make the acquisition of knowledge their main aim). 10 ॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।