चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथैकादशोऽध्यायः ॥ 11 ॥

athaikādaśō’dhyāyaḥ ॥ 11 ॥



दात्तृत्वंप्रियवक्तृत्वंधीरत्वमुचितज्ञता ॥ 
अभ्यासेननलभ्यन्तेचत्वारःसहजागुणाः।१।

अर्थ - उदारता, प्रिय बोलना, धीरता और उचित का ज्ञान ये अभ्यास से नहीं मिलते, ये चारों स्वभाविक गुण हैं ॥ १ ॥

dāttr̥tvaṁpriyavaktr̥tvaṁdhīratvamucitajñatā ॥ 
abhyāsēnanalabhyantēcatvāraḥsahajāguṇāḥ|1|
Meaning - Generosity, loving speech, patience and knowledge of what is right are not acquired by practice, these four are natural qualities. 1॥

आत्मवर्गपरित्यज्यपरवर्गसमाश्रयेत् ॥ 
स्वयमेवलयंयातियथाराज्यजन्यधर्मतः ॥२॥

अर्थ - जो अपनी मण्डली को छोड परके वर्ग का आश्रय लेता है वह आप ही लय को प्राप्त हो जाता  है जैसे राजाके राज्य अधर्म से ॥ २ ॥

ātmavargaparityajyaparavargasamāśrayēt ॥ 
svayamēvalayaṁyātiyathārājyajanyadharmataḥ ॥2॥
Meaning - One who leaves his own group and takes shelter in a foreign society, automatically attains Laya(Dilution in it), just as a king's kingdom is freed from unrighteousness. 2॥

हस्ती स्थूलतनुः सचांकुशवशःकिंइस्तिमात्रौंऽ कुशोदीपप्रज्वलितेप्रणश्यतितमः किंदीपमात्रं तमः ॥ 
वत्रेणापिहताःपतन्तिगिरयः किंवज्ज मात्रन्नगाः तेजोयस्यविराजते सवलवानूस्थू लेषुकःप्रत्ययः ॥ ३ ॥

अर्थ - हाथी का स्थूल शरीर है वह भी अंकुश के वश रहता है, तो क्या हस्ती के समान अंकुश है? दीप के जलने पर अंधकार आप ही नष्ट हो जाता है, तो क्या अप (प्रकाश) के तुल्य तम है? विजली के मारे पर्वत गिर जाते हैं तो क्या बिजली पर्वत के समान है? जिसमें तेज विराजमान रहता है वह बलवान् गिना जाता है मोटे का कौन विश्वास है ॥ ३ ॥

hastī sthūlatanuḥ sacāṁkuśavaśaḥkiṁistimātrauṁ’ kuśōdīpaprajvalitēpraṇaśyatitamaḥ kiṁdīpamātraṁ tamaḥ ॥ 
vatrēṇāpihatāḥpatantigirayaḥ kiṁvajja mātrannagāḥ tējōyasyavirājatē savalavānūsthū lēṣukaḥpratyayaḥ ॥ 3 ॥

Meaning - An elephant has a thick body and remains under the control of the reins, so does it have the same reins as an elephant? When the lamp is lit, darkness itself gets destroyed, so is Tama equal to Ap (light)? If mountains fall due to lightning, then is lightning like a mountain? The one in whom glory resides is considered strong. What is the faith of the fat man? 3॥

कलौदशसहस्राणिहरिस्त्यजतिमेदिनीम् ॥ 
तदईं जाह्नवीतोयंतदर्द्धंग्रामदेवताः ॥ ४ ॥

अर्थ - कलियुग में दशसहस्त्रवर्ष के बीतने पर विष्णु पृथ्वी को छोड़ देते हैं उसके आधे पर गंगाजी जल को, तिसके आधेके बीतने पर ग्राम देवता ग्रामको ॥ ४ ॥

kalaudaśasahasrāṇiharistyajatimēdinīm ॥ 
tadīṁ jāhnavītōyaṁtadarddhaṁgrāmadēvatāḥ ॥ 4 ॥

Meaning - After the passage of ten thousand years in Kaliyuga, Vishnu leaves the earth, half of it to the water of Ganga, and after the passage of half of the same, the village deity leaves the village. 4॥

गृहासक्तस्यनेोविद्या नोदयामांसभोजनः ! 
द्रव्यलुब्धस्यनोसत्यं स्त्रैणस्यनपवित्रता ॥५॥

अर्थ - गृह में आसक्त पुरुषों को विद्या, मांस के आहारी को दया, द्रव्य लोभी को सत्यता, और व्यभिचारी को पवित्रता, नहीं होती है ॥ ५ ॥

gr̥hāsaktasyanēōvidyā nōdayāmāṁsabhōjanaḥ ! 
dravyalubdhasyanōsatyaṁ straiṇasyanapavitratā ॥5॥

Meaning - Those who are attached to the house do not have knowledge, those who eat meat do not have mercy, those who are greedy for money do not have truthfulness and those who are adulterers do not have purity. ॥ 5 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 11   श्लोक-  1-5

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।