चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ दशमोऽध्यायः ॥ 10 ॥
atha daśamō’dhyāyaḥ ॥ 10 ॥
बुद्धिर्यस्यबलं तस्यनिर्बुद्धेश्वकुतोबलम् ॥ वनेसिंहोमदोन्मत्तो जंबुकेननिपातितः ॥१६॥ अर्थ - जिसको बुद्धि है उसी को बल है निर्बुद्धि को बल कहां से होगा। देखो वन में मद से उन्मत्त सिंह सियार से मारा गया ॥ १६ ॥ buddhiryasyabalaṁ tasyanirbuddhēśvakutōbalam ॥ vanēsiṁhōmadōnmattō jaṁbukēnanipātitaḥ ॥16॥ Meaning - Only the one who has intelligence has strength, how can an unintelligent person get strength? Look, in the forest, a mad lion was killed by a jackal. 16 ॥ काचिंताममजीवने यदिहरिर्विश्वंभरोगीयते । नोचेदर्भकजीवनायजननीस्तन्यं कथंनिः स- रेत् ॥ इत्यालोचमुहुर्मुहुर्यदुपतेलक्ष्मीपतेकेवलम् । त्वत्पादांबुजसेवनेन सततं कालोमया नीयते ॥ १७ ॥ अर्थ - मेरे जीवन में क्या चिंता है यदि हरि विश्वका पालने वाला कहलाता है, ऐसा न हो तो बच्चे के जीने के हेतु माता के स्तन में दूध कैसे बनाते ? इसको बार २ विचार करके हे यदुपति ! हे लक्ष्मी पति !! सदा केवल आपके चरणकमल की सेवा से मैं समय को बिताता हूंँ ॥ १७ ॥ kāciṁtāmamajīvanē yadiटंharirviśvaṁbharōgīyatē | nōcēdarbhakajīvanāyajananīstanyaṁ kathaṁniḥ sa- rēt ॥ ityālōcamuhurmuhuryadupatēlakṣmīpatēkēvalam | tvatpādāṁbujasēvanēna satataṁ kālōmayā nīyatē ॥ 17 ॥ Meaning - What is the worry in my life? If Hari is called the sustainer of the world, otherwise how would the mother's breast produce milk for the child's survival? O Yadupati, think twice about this! Hey Lakshmipati! I always spend my time only in the service of your lotus feet. 17 ॥ गीर्वाणवाणीषुविशिष्टबुद्धिस्तथापिभाषांतरलोलुपोहम् ॥ यथासुधायाममृतेचसेवितेस्वर्गांग नानामधरासवेरुचिः ॥ १८ ॥ अर्थ - यद्यपि संस्कृत ही भाषा में विशेष ज्ञान है तथापि दूसरी भाषाओं का भी मैं लोभी हूंँ। जैसे अमृत के रहते भी देवताओं की इच्छा स्वर्ग की स्त्रियों के ओष्ठ के आसव में रहती है ॥ १८ ॥ gīrvāṇavāṇīṣuviśiṣṭabuddhistathāpibhāṣāṁtaralōlupōham ॥ yathāsudhāyāmamr̥tēcasēvitēsvargāṁga nānāmadharāsavēruciḥ ॥ 18 ॥ Meaning - Although I have special knowledge in Sanskrit language, yet I am greedy for other languages also. Just as even in the presence of nectar, the wishes of the gods( The habitats of the heaven or swarga called devta)( The habitats of the heaven or swarga called devta) remain in the essence of the lips of the women of heaven. 18 ॥ अन्नाद्दशगुणंपिष्टंपिष्ठाद्दशगुणंपयः ।। पयसोऽष्टगुणंमांसंमांसाद्दशगुणंघृतम् ॥१९॥ अर्थ - चावल से दशगुणा पिसान (चूनमें) गुण है। पिसान से दशगुणा दूध में, दूध से अठगुणा मांस में, मांस से दशगुणा घी में ॥ 19 ॥ annāddaśaguṇaṁpiṣṭaṁpiṣṭhāddaśaguṇaṁpayaḥ ॥ payasō’ṣṭaguṇaṁmāṁsaṁmāṁsāddaśaguṇaṁghr̥tam ॥19॥ Meaning -Chun or pisan (means the particles of the whole rice) has ten times the quality of rice. 10 times the amount of flour is converted into milk, 8 times that of milk into meat, 10 times that of meat into ghee. ।। 19 ॥ शाकेनरोगावर्धतेपयसावर्धतेतनुः ॥ घृतेनवर्धतेबीर्यंमांसान्मांसंप्रवर्धते ॥ २० ॥ अर्थ - साग से रोग, दूध से शरीर, घी से वीर्य, और मांस से मांस, बढता है ॥ २० ॥ śākēnarōgāvardhatēpayasāvardhatētanuḥ ॥ ghr̥tēnavardhatēbīryaṁmāṁsānmāṁsaṁpravardhatē ॥ 20 ॥ Meaning - Disease increases from vegetables, body from milk, semen from ghee, and flesh from meat. 20 ॥ इति वृद्धचाणक्ये दशमोऽध्याय ॥ १० ॥ iti vr̥ddhacāṇakyē daśamō’dhyāya ॥ 10 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 10 श्लोक- 16-20
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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