चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

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नवमोऽध्यायः ॥ 9 ॥

navamō’dhyāyaḥ ॥ 9 ॥

अथ दशमोऽध्यायः ॥ 10 ॥
atha daśamō’dhyāyaḥ ॥ 10 ॥


धनहीनोनहीनश्चधनिकःससुनिश्चयः ॥ 
विद्यारत्नेनहीनोयःसहीनःसर्ववस्तुषु ॥ १ ॥

धनहीन हीन नहीं गिना जाता, निश्चय है कि, वह धनी ही है विद्यारतन से जो हीन है वह सब वस्तुओं में हीन है ॥ १ ॥

dhanahīnōnahīnaścadhanikaḥsasuniścayaḥ ॥ 
vidyāratnēnahīnōyaḥsahīnaḥsarvavastuṣu ॥ 1 ॥

A person without money is not considered inferior, it is certain that he is rich and the one who is inferior to Vidyaratan is inferior in all things. 1॥

दृष्टिपूतंन्यसेत्पादंवस्त्रपूतंपिवेज्जलम् ॥ 
शास्त्रपूतंवदेद्वाक्यंमनःपूतंसमाचरेत् ॥ २ ॥

अर्थ - दृष्टि से शोधकर पांव रखना उचित है, वस्त्र से शुद्ध कर जल पीवे, शास्त्र से शुद्धकर वाक्य बोले और मन से सोच कर कार्य करना चाहिये ॥ २ ॥

dr̥ṣṭipūtaṁnyasētpādaṁvastrapūtaṁpivējjalam ॥ 
śāstrapūtaṁvadēdvākyaṁmanaḥpūtaṁsamācarēt ॥ 2 ॥

Meaning - It is appropriate to set foot after purifying one's vision, one should drink water after purifying one's clothes, one should speak words after purifying oneself from scriptures and one should act after thinking with one's mind. 2॥

सुखार्थीचेत्त्यजेद्विद्यांविद्यार्थीचेत्त्यजेत्सुखं ॥ 
सुखार्थिनःकुतोविद्यासुखंविद्यार्थिनः कुतः।३। 
अर्थ - यदि सुख चाहे तो विद्याको छोड़।  दे, यदि विद्या चाहे तो सुख का त्याग करे सुखार्थीको विद्या कैसे होगी और विद्यार्थीको सुख कैसे होगा।
sukhārthīcēttyajēdvidyāṁvidyārthīcēttyajētsukhaṁ ॥ 
sukhārthinaḥkutōvidyāsukhaṁvidyārthinaḥ kutaḥ|3| 

Meaning: If you want happiness then leave education. If he wants knowledge then he should sacrifice happiness. How will the seeker of happiness get knowledge and how will the student get happiness?

कवयः किंनपश्यंतिकिंन कुर्वैतियोषितः ॥ 
मद्यपाः किंन जल्पंतिकिंनखादंतिवायसाः॥४॥
अर्थ - कवि क्या नहीं देखते, स्त्री क्या नहीं कर सक्ती, मद्यपी क्या नहीं बकते और कौवे क्या नहीं खाते ॥ ४ ॥

kavayaḥ kiṁnapaśyaṁtikiṁna kurvaitiyōṣitaḥ ॥ 
madyapāḥ kiṁna jalpaṁtikiṁnakhādaṁtivāyasāḥ॥4॥
Meaning - What poets do not see, what women cannot do, what drunkards do not speak and what crows do not eat. ॥ 4 ॥

रंकंकरोतिराजानं राजानंरंकमेवच ॥ 
धनिनंनिर्धनंचैवनिर्धनंधनिनंविधिः ॥ ५ ॥
अर्थ - निश्चय है कि विधि रंक को राजा, राजा को रंक घनी को निर्धन और निर्धन को धनी कर देता है ॥ ५ ॥

raṁkaṁkarōtirājānaṁ rājānaṁraṁkamēvaca ॥ 
dhaninaṁnirdhanaṁcaivanirdhanaṁdhaninaṁvidhiḥ ॥ 5 ॥
Meaning - It is certain that law turns a pauper into a king, a king from a pauper into a rich man and a poor man into a rich man. ॥5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 10   श्लोक-  1-5

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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