चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

Table of Contents

अथद्वितीयोऽध्यायः ॥ 2 ॥

athadvitīyō’dhyāyaḥ ॥ 2 ॥


बलंविद्याचविप्राणांराज्ञांसैन्यंबलंतथा ॥ 
बलंवित्तंचवैश्यानांशूद्राणांचकनिष्ठिका॥१६॥

अर्थ - ब्राह्मणों का बल विद्या है, वैसे ही राजा का बल सेना, वैश्यों का बल धन और शूद्रों का बल सेवा ॥ १६ ॥

balaṁvidyācaviprāṇāṁrājñāṁsainyaṁbalaṁtathā ॥ 
balaṁvittaṁcavaiśyānāṁśūdrāṇāṁcakaniṣṭhikā॥16॥
Meaning - The strength of Brahmins is knowledge, similarly the strength of a king is army, the strength of Vaishyas is wealth and the strength of Shudras is service. ॥ 16 ॥

निर्धनंपुरुषेवेश्याप्रजाभग्नंनृपंत्यजेत् ॥ 
खगावीत फलंवृक्षंभुक्ताचअभ्यागता गृहम् ।१७।

अर्थ - वेश्या निर्धन पुरुष को, प्रजा शक्तिहीन राजा को, पक्षी फल रहित वृक्ष को, और अभ्यागत भोजन करके घर को छोड़ देते हैं ॥ १७ ॥

nirdhanaṁpuruṣēvēśyāprajābhagnaṁnr̥paṁtyajēt ॥ 
khagāvīta phalaṁvr̥kṣaṁbhuktācaabhyāgatā gr̥ham |17|

Meaning - A prostitute leaves a poor man, subjects leave a powerless king, birds leave a fruitless tree, and guests leave their homes after eating food. ॥ 17॥

गृहत्वादक्षिणांविप्रास्त्यजान्तियजमानकं ॥ 
प्राप्तविद्या गुरुशिष्यादग्धारण्यं मृगास्तथा ॥१८॥

अर्थ - ब्राह्मण दक्षिणा लेकर यजमान को त्याग देते हैं, शिष्य विद्या प्राप्त हो जाने पर गुरु को, वैसे ही जले हुये वन को मृग छोड़ देते हैं ॥ १८ ॥

gr̥hatvādakṣiṇāṁviprāstyajāntiyajamānakaṁ ॥ 
prāptavidyā guruśiṣyādagdhāraṇyaṁ mr̥gāstathā ॥18॥

Meaning - Brahmins leave their host after taking Dakshina, disciples leave their Guru after attaining knowledge, similarly deer leave a burnt forest. 18 ॥

दुराचारीदुरादृष्टिदुरावासीचदुर्जनः ॥ 
यन्मैत्रीक्रियतेपुंसासतुशीघ्रंविनश्यति॥ १९ ॥

अर्थ - जिसका आचरण बुरा है, जिसकी दृष्टि पाप में रहती है, बुरे स्थानों में रहने वाला और दुर्जन इन पुरुषोंकी मैत्री जिसके साथ की जाती है वह नर शीघ्र ही नष्ट हो जाता है ॥ १९ ॥

durācārīdurādr̥ṣṭidurāvāsīcadurjanaḥ ॥ 
yanmaitrīkriyatēpuṁsāsatuśīghraṁvinaśyati॥ 19 ॥
Meaning - The person whose conduct is bad, whose vision is in sin, who lives in bad places and who makes friends with these evil people, soon gets destroyed. ॥ 19 ॥

समानेशोभतेप्रीतीराज्ञिसेवाचशोभते ॥ 
वाणिज्यंव्यवहारेषुस्त्रीदिव्याशोभते गृहे॥२०॥

अर्थ - समान जन में प्रीति शोभती है, और सेवा राजा की शोभती है, व्यवहार में वाणिज्य, और दिव्य सुंदर स्त्री घर में शोभती है ॥ २० ॥

samānēśōbhatēprītīrājñisēvācaśōbhatē ॥ 
vāṇijyaṁvyavahārēṣustrīdivyāśōbhatē gr̥hē॥20॥

Meaning - Love is befitting an equal, service is befitting a king, commerce is befitting behavior, and a divinely beautiful woman is befitting a home. 20 ॥
इति द्वितीयोऽध्यायः ॥ २ ॥
iti dvitīyō’dhyāyaḥ ॥ 2 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   द्वितीय अध्याय – श्लोक- 16-20

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।